मैडम ने मुझे पास खींच लिया. “अरे ऐसे क्या देखता है अनिल बेटे? तेरी दीदी कितनी चुदैल है ये अब पता चला है तुझे. मैंने तो इसे देखते ही पहचान लिया था”
“और यह लड़का भी कम चोदू नहीं है मैडम. देखना आगे कैसे कैसे गुल खिलायेगा” सर ने मुझे सराहा. वे दीदी को कस के चोद रहे थे. सात आठ धक्के लगाने के बाद रुक जाते, फ़िर एक मिनिट रुक कर हौले हौले चोदते और फ़िर घचाघच लंड पेलने लगते. दीदी सिसक सिसक कर कह रही थी “सर … बहुत मजा …. आ रहा है सर … रहा नहीं जाता ….आह … ओह … प्लीज़ …. प्लीज़ … और जोर से कीजिये … चोदिये ना …मैडम … देखिये ना … प्लीज़ ”
मैडम ने मेरा लंड मुठ्ठी में लेकर ऊपर नीचे करते हुए सर से कहा “सर, झड़ा दीजिये बेचारी को, ऐसे न तड़पाइये उसे”
सर ने धक्के लगाते हुए कहा “अरे जरा मजा करने दो, बेचारी ने इतना दर्द सहा है मेरा लंड लेने में, लीना, तू क्यों बिचकती है, मजा ले, चुदने का पूरा मजा नहीं लेगी क्या?” फ़िर चौधरी सर दीदी को बाहों में भर के पूरे उसपर लेट गये और मुझे बोले “तू क्यों ऐसे बैठा है अनिल, चढ़ जा मैडम पर, चोद डाल. बल्कि मैं तो कहूंगा कि गांड मार ले उनकी, क्यों मैडम?”
मुझे रोमांच हो आया. मैडम की गांड मारने को मिलेगी क्या! पर लगता था आज वो जन्नत मेरे नसीब में नहीं थी. मैडम बोलीं “नहीं सर, गांड वांड रहने दीजिये आज. यह मेरा शिष्य इतना अच्छा चोदता है कि क्या कहूं. आ जा अनिल, चोद ले मुझे” कहकर वे लेट गयीं.
“ठीक है अनिल, चोद ही ले, और निराश मत हो, कल मार लेना गांड” सर बोले.
“किसकी” मैडम ने हंसते हुए पूछा.
“कल पता चल जायेगा, यहां गांडों की कमी है क्या? पर मजा आयेगा इसे इसकी गारंटी है” कहकर सर ने दीदी के होंठ अपने मुंह में लिये और उसका मुंह चूसते हुए हचक हचक कर चोदने लगे.
मैं मैडम पर चढ़ कर चोदने लगा. अब कमरे में बस ’फ़चा फ़च’ ’फ़चा फ़च’ ’पॉक पॉक पुक पुक’ ऐसी चुदाई की आवाजें आ रही थीं. दीदी ने अपनी टांगें और हाथ सर के बदन के इर्द गिर्द भींच लिये थे और कमर उछाल उछाल कर उनका मुंह चूसते हुए चुदवा रही थी.
मैंने मैडम को बहुत देर चोदा. वे दो बार झड़ीं. मुझे चूमती जातीं और मुझे शाबासी देती जातीं “बहुत अच्छे मेरे बच्चे, …..बहुत प्यारा है तू….. बहुत मस्त चोदता है …. अब जरा और जोर से …. लगा ना कस कस के …. आज खाना नहीं खाया क्या? …. वो सर देख कैसे कचूमर निकाल रहे हैं तेरी बहन का….”
बात सच थी. सर ने दीदी को ऐसा चोदा था कि वो बस अपने सर के मुंह में दबे मुंह से ’अं ऽ अं ऽ अं ऽ’ कर रही थी. शायद अब वो झड़ गयी थी इसलिये छूटने की कोशिश कर रही थी. पर सर उसे छोड नहीं रहे थे. जब सर ने अपना मुंह अलग किया तो दीदी सिसक कर बोली “आह ऽ … बस सर … प्लीज़ सर … अब छोड़िये ना … कैसा .. तो … भी होता …. है … सर …. प्लीज़ सर ..”
मैडम मुझे बोलीं “तेरी दीदी झड़ …. गयी है इसलिये अब ….. हालत खराब है उसकी …..पर तेरे सर नहीं मानेंगे …. अब तो उन्हें खास मजा आ रहा होगा ….. आखिर अनचुदी …. कच्ची बुर ….ऐसे … रोज रोज … थोड़े मिलती है चोदने को ….”
सर ने एक मिनिट के लिये चुदाई रोक दी. “इत्ते में खलास हो गयी तू लीना? तेरी मैडम देख, घंटों चुदवाती हैं फ़िर भी मन नहीं भरता उनका, उनके जैसी बनना है कि नहीं?” दीदी लंबी लंबी सांसें लेती हुई संभलने की कोशिश करने लगी. हंसते हुए सर उसके गाल चूमते रहे, फ़िर अचानक फ़िर से दीदी के होंठों को अपने मुंह में पकड़ा और शुरू हो गये. अब वे पूरी ताकत से चोद रहे थे. उनका पूरा लंड दीदी की बुर में अंदर बाहर हो रहा था.
मैडम ने मुझे कस के भींच लिया और मस्ती से अपनी कमर उछालते हुए बोलीं “सर उसे छोड़ेंगे नहीं, शेर के मुंह में खून लग गया है, पूरी मेहनत करेंगे और तेरी दीदी को चुदाई का पूरा सुख देकर ही रुकेंगे, खुद भी पूरा मजा लिये बिना अब नहीं रुकने वाले ये”
दीदी छटपटाने लगी. बहुत छूटने की कोशिश की पर सर के आगे उसकी क्या चलने वाली थी. सर अब कस के धक्के लगा रहे थे, बिना किसी परवाह के कि उनके नीचे कोई चुदैल रंडी नहीं बल्कि मेरी नाजुक बहना थी. यह सीन इतना मस्त था कि मैं झड़ गया और मैडम पर पड़ा पड़ा हांफ़ने लगा. मैडम भी तीसरी बार झड़ चुकी थीं, मुझे चूमने लगीं.