एक घंटे हो गए थे ट्रेन खुले , मैं ज्यादा देर तक जागना भी नहीं चाहती थी !भैया को बेतहाशा चूमने लगी , भैया भी अब सिर्फ चुदाई का ही सोच रहे थे ! मुझे नीचे करके भैया ऊपर आ गए , और चूत को मुंह से सटा लिया ! भैया का मुंह लगते ही जैसे जादू हुआ हो , मैं पिघलने लगी और पूरा बदन चूत का पानी बनकर बहने लगा ! भैया अब पहले से भी ज्यादा अच्छी तरह से चूत चाट रहे थे ! जीभ घुसा कर मेरे चूत के अनजाने कोनो तक भी चाट ली और चूस ली ! जितना भैया जीभ से चोद लेते थे , दीपक लण्ड से भी नहीं चोद पाता था ! चूत अब पूरी खुल चुकी थी , और पूरी तरह से गीली थी ,आखिर मैं दो बार झड़ भी तो चुकी थी , चूमने चाटने के दौरान ! अब भैया ने चूचियों को भी मसलना , चूमना और चूसना शुरू कर दिया ! इस बीच उन्होंने अपने कपडे भी उतार लिए थे ! भैया चूची से लेकर गर्दन , होंठ , कान सब को चूमते चूसते जा रहे थे ! इसी तूफानी चुम्मियों के बीच उन्होंने लण्ड हल्का दबा दिया था मेरी चूत में ! आह सी निकली , पर मैं दर्द झेल गई !भैया ने मेरे होंठ के सारे रस निचोड़ लिए थे , इधर होंठ का रस चूसते उधर चूत से पानी बाहर आता ! मैं समझ भी नहीं पायी और लण्ड ने चूत का आधे से ज्यादा रास्ता पार कर लिया ! अब दर्द तेज हो गया था , मैं छटपटाने लगी थी ! चेहरा लाल होते ही , भैया ने अब लण्ड को अंदर घुसाना बंद कर दिया ! थोड़ी देर तक रुके , फिर मुझे बाँहों में जकड़ा और बर्थ से उठ गए ! मुझे समझ में नहीं आया कि क्या करने वाले है ! थोड़ी देर तक मैं भैया का लण्ड अपने चूत में लिए , भैया कि गोद में रही , फिर भैया आराम से लेट गए , और मैं उनपर लेट गई थी अपने आप ! बहुत आराम मिला था ! दो मिनट तक भइया मुझे सहलाते रहे ! जब वो चूत से होते हुए हाथ मेरी गाँड के छेद तक लाते, तो अजीब सी सिहरन उठती ! एक दो बार तो उन्होंने गाँड में ऊँगली भी करनी चाही , पर मैंने गाँड हिलाकर विरोध किया !
ट्रेन फुल स्पीड में जा रही थी , पूरा डब्बा हिल रहा था , भैया कुछ ज्यादा कोशिश भी नहीं कर रहे थे , पर लण्ड चूत में ऊपर नीचे हो रहा था ! दर्द कम हो रहा था ! भैया हल्का हल्का धक्का लगा रहे थे , एक इंच तक लण्ड ऊपर आता और फिर सवा इंच अंदर जाता ! मुझे लग रहा था कि कहीं मुंह से न बाहर आ जाये ! हर धक्के पर एक आह चीख की तरह निकलती थी ! आधे घंटे तक ऐसा ही चला , फिर जैसे भैया ने जैसे चूत के अंदर फौवारा चला दिया , वीर्य की पहली धार ने मेरा संयम भी तोड़ दिया और मैं भी अंदर अपना फौवारा छूटते महसूस कर रही थी ! हमारे पानी की चिकनाहट में भैया का लण्ड सिकुरता महसूस हो रहा था , और मैं अंदर लण्ड को आखिरी सीमा तक घुसता महसूस कर रही थी ! हम दोनों निढाल होकर बेहोश जैसे हो गए थे , हिलने डुलने की भी हिम्मत नहीं थी ! ट्रेन झटके ले रही थी , हमारी चुदाई तो पूरी हो गई थी , लेकिन ट्रेन हमें अभी भी चुदवा रहा था ! मैं अपने जेठ की आगोश में सो गई , जेठ जी का खूंटा मुझे बैलेंस किये था , गिरने का कोई डर नहीं था ! पैर से मैंने कम्बल ऊपर खींचा, और जेठ जी के हलके हलके खर्राटों के बीच कब सो गई , पता ही न चला !
सुबह नींद खुली तो , जेठ जी अभी तक सो रहे थे ! काफी हिला डुला कर जेठ जी के लण्ड के कैद से अपनी चूत को आज़ाद किया , वीर्य का थक्का चूत से बहार आ रहा था ! जल्दी जल्दी रेलवे के तौलिये से पोछा अपनी चूत को ! भैया का लण्ड साफ़ कर ही रही थी की भैया जाग गए , उन्होंने भी मेरी हेल्प की !हमने 10 मिनट तक एक दुसरे को किस किया और आलिंगन किया , फिर भैया ने अपने हाथों से मुझे पेटीकोट , ब्रा , ब्लाउज पहनाया और साड़ी बाँधने में मदद की ! भैया का सिर्फ अंडरवियर मैंने पहनाया , बाकि कपडे उन्होंने खुद पहन लिए ! गाडी स्टेशन पर लगी तो दीपक कूपे में आकर सामान लेकर गाडी में डालकर चल पड़े ! मैं नज़र नहीं मिला पा रही थी दीपक से ! रास्ते भर ज्यादातर दीपक और भैया इधर उधर की बात करते , बीच बीच में मैं भी हूँ हाँ कर देती थी !