भैया धीरे धीरे मेरी टाँगे फैलाकर , मेरे चूत के मुंह पर अपना लण्ड टिका दिया ! मेरे ऊपर झुककर मेरी एक चूची को मुंह में लेकर गुलगुलाने लगे ! मेरी घुंडी पर दांत लगते ही मैं चिहुंक जाती , दूसरे हाथ से वो दूसरी चूची को दबाते जा रहे थे ! भैया चूची दबाने में इतने मास्टर थे की , चूची को दर्द भी मीठा लगता था ! भैया ने अचानक से चूची की घुंडी को थोड़ा तेज काटा दांत से, मैं जब तक उसका दर्द समझती , भैया के लण्ड का सुपाड़ा चूत के अंदर था, एक चीख सी निकली और मैं तड़पने लगी ! मेरी चीख दूर दूर तक सुनने वाला कोई नहीं था ! भैया अब मेरे होंठ चूस रहे थे ! इतना मीठा लग रहा था उनका चुम्बन की मैं उसी में खो गई , कभी वो मेरे मुंह में जीभ डालकर मुझे चूसते और कभी मैं उनके मुंह में अपनी जीभ डालकर उनके जीभ को चूसती ! मैं इधर चुम्मी के खेल में उलझी रही , और भैया के लण्ड ने आधा रास्ता पार कर लिया ! जब तक मेरे ध्यान अपनी चूत की तरफ जाता भैया अपनी मंजिल से दो इंच दूर थे ! लगता था जैसे किसी ने पूरा हाथ डाल दिया था ! भैया के लण्ड में मुझे कुछ चिकनाहट सी लग रही थी , शायद भैया ने कोई क्रीम लगाया हो ! मेरी चूत भी पानी की सप्लाई लगातार दे रही थी और भैया का भी लसलसा पदार्थ सुपाड़े से बहार छूटा महसूस हुआ था ! आज चूत में उतना दर्द नहीं था , शायद कई कई घंटे भैया का लण्ड चूत में लेकर सोई थी मैं ! भैया अब आखिरी मक़ाम तक पहुंचना चाहते थे, पर चूत इतनी टाइट थी की आगे जाने का नाम नहीं ले रही थी ! भैया वापस लण्ड थोड़ा ऊपर लाते, पर धक्का लण्ड को वहीँ तक जाने देता था ! भैया के लण्ड पीछे करते ही मेरी साँसे चल पड़ती थी , पर धक्का लगते ही रुक जाती थी ! भैया ने मुझे बड़े प्यार से धक्के देने शुरू किये , आज लण्ड काफी अंदर तक जा रहा था पर भैया आखिरी मंज़िल को छूना चाहते थे, वो नहीं हो पा रहा था !
अब धक्के आराम से जा रहे थे , चूत में इतनी ज्यादा चिकनाहट आ गई थी ! मैं तो चाहती थी भैया मुझे बस चोदते रहें , दर्द को मैं भूल चुकी थी ! अब मैं भी नीचे से हलके हलके धक्के लगा रही थी ! भैया बहुत खुश थे की आज वो मुझे ठीक से चोद पा रहे थे ! पता नहीं चला आधा घंटा बीता या एक घंटा , भैया उफान पर थे , शायद अब वीर्य की बरसात होगी , लग रहा था ! मैं तो तीन चार बार पहले झड़ चुकी थी ! एक तूफान सा चला हमारे चुदाई का खेल , मैं पहले गई , पानी का फौवारा छूट गया ! पीछे भैया ने फौवारा छोड़ते हुए , एक जोर का झटका दिया , चूत फट गई और भैया का लण्ड मेरे बच्चेदानी से जा टकराया ! मेरी चीख सुनकर कोई भी डर जाता , पर यहाँ दूर दूर ता कोई नहीं था सुनने को ! मैं दर्द बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, लण्ड के सिक़ुरने से राहत तो मिली थी पर चूत की जलन बता रही थी की अंदर भैया ने तोड़ फोड़ कर दी है ! भैया हांफते हुए , मुझे चूमते हुए निढाल हो गए ! एक पहलवान का बोझ मुझे फूलों की तरह लग रहा था ! भैया ने आराम से करवट ली ,और मुझे अपने ऊपर ले लिया ! अब मैं आराम से सोई हुई थी भैया के ऊपर ! चूत का दर्द बीच बीच में याद आ जाता था , पर चुदाई के मज़े में उसको कौन याद करता ! घडी बता रही थी कि दीपक कि फ्लाइट उड़ने को थी , और हमारी लैंड हो चुकी थी ! हम दोनों एक दूसरे के आगोश में एक साथ नींद के आगोश में खो गए !
जब मेरी नींद खुली , तो शाम हो चुकी थी , मेरी चूत अभी तक दर्द कर रही थी ! बहुत ज्यादा सनसनाहट सी हो रही थी ! भैया के ऊपर से हटी , तो गाढ़ा वीर्य इधर उधर फ़ैल गया ! उसको साफ़ किया, भैया का लण्ड पोछा , लण्ड की एक हलकी किस ली और बिस्तर से उत्तर गई ! नंगी बाथरूम जाकर चूत की सफाई भी की और नहा भी लिया ! चूत देखकर मैं हैरान हो गई , अभी दो दिन पहले तक दोनों हिस्से होंठ की तरह चिपके होते थे , अब मुंह खुला हुआ था ! अगर दीपक अभी मेरी चूत में लण्ड डालें तो पता भी नहीं चलेगा , की अंदर कुछ गया है ! जेठ जी का लण्ड अपने चूत के घंटों तक अंदर लेने से मुझे अब चुदाई में तो आसानी हो रही थी , पर चूत का शेप बिगड़ना मुझे अच्छा नहीं लग रहा था ! नहाने के बाद नंगी ही बाथरूम से बहार आई , देखा जेठ जी उठ गए थे , मुझे देखकर मुस्कराने लगे ! मैंने नाईट ड्रेस निकला तो भैया ने मन कर दिया , ऐसे ही रहो , अच्छा लगता है !मैं शर्म से मरी जा रही थी , जेठ जी से कम से कम ब्रा पैंटी का अनुरोध किया, भैया ने कहा मैं पहना देता हूँ !भैया ने पहनाते पहनाते भी अपनी शरारतें कर दी ! चूची खूब दबाया और चूत भी सहलाई ! भैया थोड़े मूड में आने लगे थे , मैंने हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगी , चूत में दर्द भी बताया ! भैया ने दर्द की एक टेबलेट दी और एक क्रीम से चूत की मालिश भी कर दी ! भैया नहाने चले गए और मैं चाय बनाने ! चाय पीकर हम खुले में छत पर अपने छोटे से गार्डन में आ गए ! भैया का साथ मुझे बहुत अच्छा लग रहा था , बहुत मज़ाकिया स्वाभाव के थे भैया , मैंने पहले कभी ज्यादा बातें नहीं करती थी भैया से , इसलिए उनके स्वाभाव से मैं परिचित नहीं थी !