इस कहानी की मुख्य पात्र है रश्मि खन्ना जिसे सब राशि के नाम से ही बुलाते थे। वो एक छोटे से शहर में पैदा हुई थी और एक मध्यम वर्ग परिवार से थी। दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई के बाद उसे आगे की पढ़ाई के लिए अपने शहर से दूर दूसरे शहर में जाना पड़ा। माँ बाप की इच्छा थी कि उनकी बेटी पढ़ लिख कर कुछ बन जाए ताकि कल जब उसकी शादी हो तो कम दहेज से काम चल जाए।
राशि पढ़ाई में अच्छी थी पर जब वो अपने छोटे से शहर से निकल कर बड़े शहर में गई तो वहाँ की हवा ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। वो सरकारी बस में बैठ कर जाती थी। जो लोग ऐसी बसों में सफर करते हैं उनको पता है कि उन बसों में भीड़ कितनी होती है। इन्ही बसों की भीड़ में राशि को अपने बदन पर पराये लोगों के हाथों का स्पर्श पहली बार महसूस हुआ था।
कमसिन जवान लड़की के बदन पर जब इन हाथों का स्पर्श हुआ तो बदन एक अलग सी अंगड़ाई लेने लगा था। शुरू शुरू में तो राशि को यह अजीब लगा पर फिर धीरे धीरे उसे भी इन सब में मज़ा आने लगा। बस की भीड़ में अक्सर कोई ना कोई मर्द जब राशि से चिपक के खड़ा होता तो राशि में बदन में बेचैनी होने लगती। कभी कभी कोई मजनूँ जब उसकी गांड में ऊँगली लगा देता तो वो उचक पड़ती थी। पहले पहले तो वो अक्सर इन सब हरकतों से बचने की कोशिश करती रहती थी पर अब उसे ये अच्छा लगने लगा था। अब जब कोई मर्द उस से चिपक कर अपना लण्ड उसकी गांड से सटा कर खड़ा हो जाता तो वो अपनी गांड पीछे कर के उस लण्ड का पूरा एहसास अपनी गांड पर महसूस करने की कोशिश करती। इन सब में उसे अब बहुत मज़ा आता था।
शहर में भी बहुत से लड़के उसके आगे पीछे उस से दोस्ती करने के लिए घूमने लगे थे पर वो किसी को घास नहीं डालती थी। पर फिर इस कमसिन कबूतरी की जिंदगी एक अलग मोड़ लेने लगी।
और एक दिन…
वो दिन राशि की जिंदगी बदल गया। उस दिन उसका अठारहवां जन्मदिन था। शहर में उसकी एक महिला अध्यापिका (जिसका नाम रेखा था) ने अपने घर पर राशि का जन्मदिन मनाने का प्रबन्ध किया। और फिर आधी छुट्टी के बाद वो राशि और उसकी एक दो दूसरी सहेलियों को लेकर अपने घर चली गई। वह पर उन सबने मिल कर राशि के जन्मदिन का केक काटा और सबने खाया और फिर नाच गाना हुआ।
उसके बाद रेखा ने उन सबको डीवीडी पर एक फिल्म दिखाई। फिल्म जैसे ही शुरू हुई सब लड़कियाँ शर्म के मारे एक दूसरे का मुँह देखने लगी। यह एक अश्लील फिल्म थी जिसमे दो नंगे बदन एक दूसरे से लिपटे हुए वासना के समंदर में गोते लगा रहे थे। एक मर्द जो बिल्कुल नंगा होकर अपने लंबे से और मोटे से लण्ड को एक बिल्कुल नंगी लड़की की चूत में डाल कर बहुत जोर जोर से अंदर-बाहर कर रहा था। वो लड़की भी मस्ती के मारे आहें भर रही थी।
यह देख कर सब लड़कियाँ पानी पानी हो रही थी। पर रेखा ने उनको समझाया कि जिस उम्र में वो सब हैं, उन्हें इस सब का ज्ञान होना बहुत जरुरी है। फिर रेखा ने उन सबको विस्तार से लण्ड, चूत और चुदाई के बारे में बताया।
उस दिन जब राशि अपने घर वापिस आई तो बहुत बेचैन थी। रह रह कर उसकी आँखों के सामने फिल्म के वही चुदाई के दृश्य घूम रहे थे। सोच सोच कर उसकी चूत बार बार गीली हो रही थी। ऐसा नहीं था कि पहले कभी राशि की चूत गीली नहीं हुई थी पर आज जितनी गीली कभी नहीं हुई थी। रात को सोने के बाद भी वही सब कुछ आँखों के सामने घूमता रहा और ना जाने कब राशि का हाथ अपनी चूत पर चला गया और वो उसको सहलाने लगी। चूत को सहलाने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था। कुछ ही देर बाद उसकी चूत में कसमसाहट सी होने लगी और बदन अकड़ने लगा तो वो जोर जोर से अपनी चूत को अपनी उंगली से रगड़ने लगी और फिर पहली बार राशि की चूत से मस्ती का झरना बह निकला। बदन एकदम से हल्का हो गया और फिर वो नींद के आगोश में खो गई।
उस दिन के बाद से राशि की चूत में बहुत खुजली होने लगी। अब उसकी नजरें लड़कों की पेंट में कैद लण्ड को ताकती थी। उसका दिल करने लगा था कि कोई आये और अपना लण्ड फिल्म की तरह से उसकी चूत में डाल कर उसकी चूत की खुजली मिटा दे। पर दिल के किसी कोने में एक डर था जो उसे यह सब करने से रोक रहा था।