शालीन ने ज्यादा समय बर्बाद ना करते हुए उसकी फ्रॉक को ऊपर की तरफ उठा दिया। प्रगति ने भी अपने कूल्हे ऊपर करके उसकी मदद की और फ्रॉक उसके स्तनों के ऊपर होकर गले तक आ गई। अब वह ब्रा और चड्डी में थी और उसने अपनी टांगें शर्म के कारण भींच लीं। शालीन ने उसकी टांगों को घुटनों से पकड़ कर अलग किया और आश्वासन के तौर पर उसके कन्धों को थपथपा दिया।
अब शालीन ने पोले पोले हाथों और उँगलियों से उसकी ब्रा के ऊपर से उसके मम्मों और पेट तथा जांघ के अंदरूनी हिस्सों को उकसाना शुरू किया। साथ ही उसने चड्डी के ऊपर से ही उसकी योनि के ऊपर भी हाथ फिराना शुरू कर दिया। दोनों को मज़ा आ रहा था और शायद दोनों ही प्रगति की ब्रा और चड्डी से जल्दी छुटकारा चाहते थे। दोनों उत्तेजित हो गए थे और उतावले और बेचैन भी। ऐसे में जब शालीन ने प्रगति को आधी करवट लिटा कर उसकी ब्रा के हुक ढीले किये तो मानो दोनों को राहत मिली। शालीन ने ब्रा एक तरफ रख दी और एक शर्मीली प्रगति को सीधा किया जो अपने हाथ आँखों पर से हटा कर अपने स्तनों पर ले आई थी। शालीन ने दृढ़ता के साथ उसके दोनों हाथ बगल में इस तरह कर दिए मानो उन्हें वहाँ से ना हिलाने का आदेश दे रहा हो। प्रगति इन मामलों में अब काफ़ी समझदार थी और उसने अपने हाथ परे कर लिए।
शालीन को प्रगति के यौवन भरे, मांसल, छरहरे और गदराये हुए स्तन बहुत मादक लगे। उनके अहंकारी चुचूक शालीन को निमंत्रित भी कर रहे थे और चुनौती भी दे रहे थे। शालीन ने कितने सालों से ऐसे मदभरे और कमसिन स्तन नहीं देखे थे। उसे समझ नहीं आ रहा था पहले वह उन्हें छुए या मुँह में ले। उसने दुविधा दूर करते हुए, एक को मुँह में और एक को हाथ में ले लिया और सीधा स्वर्ग का अनुभव करने लगा।
वैसे अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुए होंगे पर इतने सुडौल, लचीले और उभरे हुए थे कि शालीन उन्हें छू और चूस कर फूला नहीं समा रहा था। एक भूखे बच्चे की तरह उसके चूचे चूसने लगा और दूसरे को अपनी हथेली से गोल गोल घुमाने लगा। एक स्तन पर कड़ा प्रहार और दूसरे पर कोमल स्पर्श का विरोधाभास प्रगति को विस्मय में डाल रहा था। शालीन ने आपे से बाहर हो कर जब उसकी चूची को काटने की कोशिश की तो प्रगति ने अनायास अपना स्तन उसके मुँह से निकाल लिया। साथ ही उसके मुँह से एक दर्द की ऊई.. निकल गई।
शालीन को जब अपनी करतूत का आभास हुआ तो उसने तत्काल प्रगति को हार्दिक संवेदना ज़ाहिर की और अपने कान पकड़ने का इशारा किया। प्रगति को मालूम था कि शालीन जान बूझ कर उसे दर्द नहीं पहुँचा रहा था पर यौन-वेग में ऐसा हो जाता है। तो उसने शालीन को कान पकड़ने से मना करते हुए सहज भाव से उसका सिर खींच कर अपने दूसरे स्तन के पास ले आई। शालीन ने प्रगति को आँखों ही आँखों में आभार प्रकट किया और आँखों के सामने परोसे हुए आकर्षक व्यंजन को भोगने लगा। जिस चूची को उसने यौनावेश में काट सा लिया था उसे प्यार से सहला कर मानो मना रहा था। प्रगति को शालीन का बर्ताव अच्छा लगा।
कुछ देर स्तनपान करने के बाद शालीन का चंचल मुँह अलग स्वाद की कामना करने लगा। उसने स्तन से मुँह उठा कर सीधा प्रगति के लरजते और रसीले होटों पर रख दिया। उसने यह नहीं सोचा था कि वह प्रगति का चुम्बन लेगा पर उसके मनमोहक आचरण को देखकर उससे रहा नहीं गया और उसने सच्चे प्यार की मोहर प्रगति के होटों पर लगा ही दी। प्रगति थोड़ी अचंभित तो हुई पर उससे ज्यादा उसे गौरव का अहसास हुआ। शालीन जैसे उच्च अधिकारी का चुम्बन उसके लिए बहुत मायने रखता था। शरीर को हाथ लगाना या सम्भोग करना लड़की को इतना मान नहीं देता जितना होटों पर दिया हुआ प्यारा चुम्बन। यह वासना और प्रेम में फ़र्क़ दर्शाता है।
अब शालीन ने प्रगति के कपड़े उतारने का अभियान जारी किया। प्रगति ने निर्विरोध उसका सहयोग किया और शीघ्र ही वह पूरी तरह निर्वस्त्र हो गई। शालीन के चुम्बन से मिले गौरव और उसके हाथों की हरकत से प्रगति का शरीर काफी रोमांचित हो चुका था और प्रमाण स्वरुप उसकी योनि काफी भीग गई थी। उधर प्रगति की नंगी काया को देख कर शालीन का लिंग अपनी शालीनता त्याग कर तामसिक रूप धारण करने लगा था। उसने अहतियात के तौर पर कमरे का दरवाज़ा अन्दर से बंद कर दिया और अपने कपड़े उतार कर प्रगति के पास आ गया।